सिविल सेवा अभ्यर्थियो के लिये समर्पित पोस्ट
तो मेरा ऐसे सभी अभ्यर्थियो से कहना है कि आप देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओ मे से एक की तैयारी कर रहे है और अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना सफलता प्राप्त करने की पूर्वशर्त है।
पढ़ाई करनी होती है और सभी को पढ़ाई करनी होती है। आप सप्ताह के सातों दिन एक ही रफ्तार से, उसी तन्मयता से पढ़ाई नही कर सकते है। आप के मूड स्विंग्स होंगे, कभी कभी बिल्कुल भी पढ्ने का मन नही करेगा। आखिरकार आप एक इन्सान है मशीन नही। कभी आपकी तबियत खराब हो जाएगी, तो कभी कोई बगल वाले मकान मे तेज म्यूज़िक बजा रहा होगा, कभी कुक ऐसा खाना बना जायेगा कि देख कर लगेगा कि ये जेल की जिन्दगी मै क्यो जी रहा हूँ ? छुट्टियो मे घर जायेंगे तो वहाँ से वापस आने पर छोटे छोटे कमरो का अकेलापन और रैक पर रखी किताबे मानो काट खाने को दौडेंगी। ये सब सिविल की तैयारी के अनिवार्य तत्व है अगर आप इन सब से गुजर रहे है और फिर भी पढ़ाई करने का माद्दा रखते है तो विश्वास मानिये आप के अन्दर आत्मनियंत्रड़ की अद्वितीय प्रतिभा विद्यमान है और आप जीवन मे सफल जरुर होंगे।
RATANDEEP GUPTA |
एक बार भी प्री परीक्षा नही निकले तो हर बात पर संदेह होने लगता है,क्या मै सही पढ रहा हूँ, क्या मेरा हो पायेगा? और अगर आपको ये सब लगता है तो इसमे कोई अप्राकृतिक बात नही है।
FEAR IS THE GREATEST MOTIVATOR. आपके अन्दर का भय आपको आत्मनियंत्रित रहने मे मदद ही करता है, बस आपको इसके लेवल को नियन्त्रित रखना है, बिल्कुल मुद्रास्फीति की तरह।
मैने ऐसे भी उदाहरण देखे है, जहां 5 attempts प्री ना क्लियर कर पाने लोगो ने भी अपने 6th attempts मे आई पी एस जैसे सम्मानजनक पद को प्राप्त किया है। इसलिये निराश होने का तो प्रश्न ही नही उठता है।
सिविल सेवा की परीक्षा मे अन्तिम रुप से चयन बहुत सारे मानको पर निर्भर करता है, निश्चित रुप से यह एक स्तरीय परीक्षा है लेकिन केवल इस परीक्षा को व्यक्ति की योग्यता का मानक बना लेना और ये मान लेना कि सिविल सेवको को सब कुछ आता है, यह समाज मे फैला हुआ/ फैलाया गया एक भ्रम है।
इसलिये जब भी कोई निराशा मन मे आये, मन ना लग रहा हो, अपनी योग्यता पर संदेह हो रहा हो तो निडर होकर अपने आप से कहिये कि मैने सफल होने के लिये ही जन्म लिया है और मै सफल होकर रहूँगा। जब भी कोई मुश्किल सामने आये तो स्वामी विवेकानंद का यह कथन मन ही मन दुहरा लेना है कि "अगर आपको मार्ग मे कठिनाईयो का सामना नही करना पड़ रहा है तो आप सही मार्ग पर नही चल रहे है।"
दुख तब होता है जब हम जीवन मे सरल मार्ग की अपेक्षा करते है,
आप जीवन से कठिनता मांगिये मत कहिये " Why me " कहिये " Try me".
इस निर्मम रण में पग-पग का रुकना ही मेरा वार बने !
भव सारा तुझपर है स्वाहा सब कुछ तप कर अंगार बने-
तेरी पुकार सा दुर्निवार मेरा यह नीरव प्यार बने।"
एक बात और जो मै कहना चाहूँगा कि selection के पहले और बाद वाले अभ्यर्थी मे बहुत अन्तर होता है। मेरा निजी अनुभव रहा है कि selection के पहले लगभग सभी अभ्यर्थियो को अपनी सफलता/ असफलता के प्रति उतनी ही अनिश्चितता होती है कि मेरा होगा की नही इत्यादि, लेकिन selection के बाद उनके आत्मविश्वास मे आशातीत इजाफा हो जाता है। सभी toppers के साथ मसूरी मे लगभग 3 माह बिताने के बाद मेरा अनुभव यही रहा है कि सबकी सफलता मे कई बाते कॉमन थी कि वे सभी बहुत मेहनती होने के साथ साथ strategic तरीके से काम करने मे विश्वास रखते है। सबसे बड़ी और अन्दर की बात ये है कि " मेरा हो ही जाएगा" ऐसा दंभ भरने वाला कोई नही था और शायद यही सत्य भी है।
कई बार कुछ चयनित अभ्यर्थी अपना निजी अनुभव साझा कर रहे होते है कि मैने सिर्फ 6 माह की पढ़ाई की इत्यादि ।सबकी पढ़ाई-लिखाई का back ground एक सा नही होता है। इसलिये कभी अपनी अनावश्यक तुलना किसी से ना करे कि उसने तो एक attepmt, दो attempt मे कर लिया, मै क्यूँ नही कर पा रहा हूँ।
सामान्य सी बात है की अगर कोई पढ्ने लिखने मे शुरु से अच्छा रहा है तो उसके परीक्षा पास करने के अवसर थोड़े से बेहतर बनते है लेकिन इसका बहुत ही छोटा सा योगदान होता है पूरी तैयारी मे, आप अगर लगनशील है तो आप भी कर लेंगे , समय थोडा ज्यादा लग सक्ता है। अगर आप tuition पढा के या फिर जॉब के साथ तैयारी कर रहे है तो आप को ज्यादा टाईम मैनेजमेँट करना पड़ेगा।
देखिये आप के पास जीवन मे शिकायत करने का विकल्प उपलब्ध नही है ।अपने जीवन मे अपनी क्षमताओं का सर्वोत्तम उपयोग कर उसे बेहतर बनाने का विकल्प आपने चुना है तो उसके लिये जो भी कीमत देनी पड़े तैयार रहिये। जब तक आप परीक्षा पास नही कर लेते, आपको हमेशा शंका बनी रहेगी, क्यू कि " It always seems impossible untill it is done". मुझे लगता है कि Nelson Mandela ने 27 साल जेल मे रहने के बाद ये पंक्ति इसिलिए कही होगी क्यू कि उन्हे इतना महान त्याग करने एवं कष्ट सहने के बावजूद भी अपने लक्ष्य प्राप्ति पर शंका बनी रही होगी, फिर भी अन्ततह उन्होने कर दिखाया।👌
इसलिये कैसी भी परिस्थिति हो,कितना भी समय मिल पा रहा है, कैसी भी मनोदशा है, कितना भी कार्यभार है, चारो ओर अंधकार है , लेकिन आपका किस पर अधिकार है- अपने आप पर, रुकिये मत, चलते रहिये
अन्त मे यही कहूंगा
पाते हैं जग से प्रशस्ति अपना करतब दिखलाके।
हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक,
आप सभी को शुभकामनाएँ ।
रतन दीप गुप्ता
India Map Work Geography
0 Comments
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.